प्रेफरेंस शेयर क्या होता है? | परेफरेंस शेयर्स मीनिंग इन हिंदी

प्रेफरेंस शेयर वैसे आज कल इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग काफी ज्यादा लोग कर रहे है लेकिन बिना जानकारी के यह गलत स्टॉक निवेश कर देते है जिनके कारण लोस्स हो जाता है। इसी से रिलेटिड एक हमारे विउवार ने कमेंट किया था परेफरेंस शेयर्स मीनिंग तो आज आप जानने वाले है प्रेफरेंस शेयर क्या होता है और प्रेफरेंस शेयर कितने प्रकार के होते है, प्रेफरेंस शेयर और कॉमन शेयर में अंतर क्या है।

प्रेफरेंस शेयर क्या होता है?

परेफरेंस शेयर्स मीनिंग: प्रेफरेंस शेयर्स का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को निश्चित डिविडेंड और अन्य वित्तीय लाभ प्रदान करना होता है। लेकिन उन्हें कंपनी के प्रबंधन या निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में मतदान के अधिकार नहीं होते।

इसका मतलब है कि प्रेफरेंस शेयरधारकों को कंपनी के लाभ से निश्चित प्रतिशत तक का डिविडेंड मिलता है। लेकिन वे कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित नहीं कर सकते।

डिविडेंड: प्रेफरेंस शेयरधारकों को कंपनी के लाभों से अनगिनत डिविडेंड मिलते हैं, कंपनी के लाभों से अलग। अगर कंपनी के लाभ कम भी हो या शून्य हो तो प्रेफरेंस शेयरधारकों को उनके निश्चित डिविडेंड मिलते हैं। जब तक कि कंपनी दिवालिया नहीं जाती।

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परेफरेंस शेयर्स मीनिंग

  1. मतदान अधिकार: आमतौर पर, प्रेफरेंस शेयरधारकों को कंपनी के निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में मतदान अधिकार नहीं होते। इसका मतलब है कि वे कंपनी की बोर्ड मीटिंग में भाग नहीं ले सकते और कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णयों में योगदान नहीं कर सकते।

2. लिक्विडेशन प्रिफरेंस: अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है और लिक्विडेशन हो रही है तो प्रेफरेंस शेयरधारकों को कॉमन शेयरधारकों से पहले उनका निवेश वापस मिलता है। इस तरह से अगर कुछ बचा हुआ धन है तो प्रेफरेंस शेयरधारकों को उसमें पहले हक होता है।

3. कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स: कुछ कंपनियाँ कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स भी जारी करती हैं, जिनमें शेयरधारक को एक निश्चित समय में कॉमन शेयरों में कनवर्ट करने का अधिकार होता है। इससे शेयरधारक भविष्य में कंपनी के लाभ और विकास में भागीदारी कर सकते हैं।

4. क्यूम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर्स: इन शेयरों में अगर कंपनी डिविडेंड नहीं दे पाती है तो वे डिविडेंड एकत्रित हो जाते हैं और भविष्य में भुगतान किया जाता है जब कंपनी वित्तीय रूप से मजबूत हो।

5. रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर्स: कुछ प्रेफरेंस शेयर्स रिडीमेबल होते हैं जिसका मतलब है कि कंपनी उन्हें एक निश्चित समय अवधि के बाद वापस ले सकती है।

6. नॉन-क्यूम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर्स: इन शेयरों में अगर कंपनी डिविडेंड नहीं दे पाती है तो वे डिविडेंड एकत्रित नहीं होते हैं। अगर डिविडेंड का समय गुजर जाए तो शेयरधारकों को उसके पाने का हक नहीं रहता है।

प्रेफरेंस शेयर और कॉमन शेयर में अंतर क्या है।

दोस्तों दोनों में कुछ मुख्य अंतर है आइए जानते हैं प्रेफरेंस शेयर प्रिमरिली फिक्स्ड डिविडेंड्स और कैपिटल प्रोटेक्शन प्रोवाइड करते है। कमेन शेयर ज़्यादा रिस्क और ज़्यादा रेटॉन के साथ आते है।

प्रेफरेंस शेयरहोल्डर को कंपनी के प्रॉफिट में फिक्स परसेंटेज का डिविडेंड मिलता है जबकि कॉमन शरहोल्डर्स को वेरिएबल डिविडेंड मिलता है।

प्रेफरेंस शेयरहोल्डर के पास वोटिंग राइट्स नहीं होती है जबकि कॉमन शेयरहोल्डर के पास कंपनी के डिसीजन होते है परसेंटेज के हिसाब से।

तो मुख्य अंतर यह है की फिक्स फाइनेंसियल बेनेफिस और लिमिटेड होता है और पोम्मों शेयर्स में फाइनेंसियल बेनेफिस लिमिटेड नहीं होता है।

प्रेफरेंस शेयर कितने प्रकार के होते है।

प्रेफरेंस शेयर्स या (प्रेफरेंस स्टॉक्स) कंपनियों के सेयरहोल्डर्स को डिविडेंड्स और संपत्ति के वितरण में प्राथमिकता प्रदान करते हैं लेकिन उन्हें कंपनी के मालिकी में सामान्य सेयरहोल्डरों की तुलना में कम अधिकार होता है। दोस्तों इसके कितने प्रकार होते है इसको विस्तार से समझते है।

  1. क्यूम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर्स : इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर्स में, अगर कंपनी डिविडेंड वितरित नहीं करती या कम डिविडेंड करती है, तो आगामी में एकत्रित (जमा) डिविडेंड्स को वितरित किया जाता है। अर्थात्, अगर अभी डिविडेंड नहीं मिला तो बाद में मिल सकता है।
  2. नॉन-क्यूम्युलेटिव प्रेफरेंस शेयर्स: इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर्स में एकत्रित डिविडेंड्स नहीं होता। अगर कंपनी डिविडेंड वितरित नहीं करती है, तो सेयरहोल्डरों को आगामी में उस डिविडेंड का हक़ नहीं होता।
  3. कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स: ये शेयर्स प्रेफरेंस शेयर्स होते हैं जो एक समय पर कॉमन शेयर्स में कनवर्ट किए जा सकते हैं। अर्थात्, प्रेफरेंस सेयरहोल्डरों को कॉमन सेयरहोल्डरों में तब्दील कर दिया जा सकता है।
  4. नॉन-कनवर्टिबल प्रेफरेंस शेयर्स: इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर्स को कॉमन शेयर्स में तब्दील नहीं किया जा सकता। ये सिर्फ प्रेफरेंस शेयर्स रहते हैं।
  5. पार्टिसिपेटिंग प्रेफरेंस शेयर्स: अगर कंपनी लाभ वितरित करती है, तो पार्टिसिपेटिंग प्रेफरेंस सेयरहोल्डरों को प्रेफरेंस डिविडेंड मिलने के बाद भी शेयर किए गए बचे हुए लाभ को बांटने का हक़ होता है।
  6. नॉन-पार्टिसिपेटिंग प्रेफरेंस शेयर्स: इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर्स में पार्टिसिपेटिंग फीचर नहीं होता। अर्थात्, इन सेयरहोल्डरों को केवल प्रेफरेंस डिविडेंड मिलता है और बाकी लाभ में उनका हिस्सा नहीं होता।
  7. रिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर्स: ये प्रेफरेंस शेयर्स वो होते हैं जो एक निर्दिष्ट परिपक्वता तिथि के बाद कंपनी द्वारा वापस लिए जा सकते हैं। परिपक्वता पर सेयरहोल्डरों को उनका निवेश वापस मिल जाता है।
  8. इरिडीमेबल प्रेफरेंस शेयर्स: इस प्रकार के प्रेफरेंस शेयर्स को परिपक्वता तिथि से पहले कंपनी वापस नहीं ले सकती। इन सेयरहोल्डरों को निवेश वापस नहीं मिलता।

आल कैंडलस्टिक पैटर्न्स पीडीऍफ़ इन हिंदी

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