डिविडेंड क्या होता हैं?

दोस्तों आज बात करने वाले हैं डिविडेंड के बारे में डिविडेंड क्या होता है। क्योंकि जब शेयर का प्राइस बढ़ता है तब तो हमारा फायदा होता ही है लेकिन कंपनियां डिविडेंड भी देती है यह जानकारी आपको होना जरूरी है। ज्यादा लाभ उठा पाए। अगर आप एक इन्वेस्टर हो तो या इन्वेस करना चाहते हो तो आइए जानते हैं।

डिविडेंड क्या होता है डिविडेंड को हिंदी में लाभांश कहते हैं। इसमें दो शब्द दिखाई देते है वह है लाभ और अंश लाभ को हम प्रॉफिट कहते हैं और अंश को हम पाठ कहते हैं। तो डिविडेंड का मतलब हुआ प्रॉफिट का पाठ डिविडेंड का मतलब और कुछ नहीं प्रॉफिट का पाठ होता है।

डिविडेंड मीनिंग इन हिंदी

हर प्रॉफिटेबल के पास दो चॉइस होते हैं या तो वह अपने पूरे प्रॉफिट को अपनी कंपनी मैं लगाने के लिए रख ले। या प्रॉफिट का कुछ पार्ट रखकर प्रॉफिट अपने शेरहोल्डर के बीच बांट दें। दोस्तों प्रॉफिट का यह पाठ जो शेरहोल्डर के बीच बाट देती है। उसे डिविडेंड कहते हैं। तो आइए हम इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं।

मान लेते हैं xyz कंपनी को 2018 में 100 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हुआ। तो xyz कंपनी बोलती है कि हर शेयर पर ₹5 का डिविडेंड देगी। और बचे हुए प्रॉफिट को अपने बिजनेस में लगाएगी तो अगर आपके पास xyz कंपनी के हजार थे। तो आपको डिविडेंड ₹5000 मिलेंगे।

कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती है?

हमेशा वही कंपनियां डिविडेंड देती है। जो प्रॉफिट में हो लॉस में होने वाली कंपनियां कभी डिविडेंड नहीं देती। और डिविडेंड ज्यादातर वही कंपनियां देती है जो बहुत बड़ी और मजबूत होती है। क्योंकि जब वह कंपनी में इन्वेंट होता है और अपने बिजनेस को एक्सपेंड करने के दौर में होता हैं। तो वो अपने सारे प्रॉफिट को अपने बिजनेस में लगाना चाहती है क्योंकि कंपनियों को पता होता है।

कि आज के प्रॉफिट को बिजनेस में लगाकर फ्यूचर में कई गुना प्रॉफिट कमा सकते है और इसमें फायदा इन्वेस्टर का ही होता है। क्योंकि जब तक कंपनी अपने प्रॉफिट को सही जगह लगाकर अपना बिजनेस पढ़ाती जाएगी उसका प्रॉफिट भी बढ़ता जाएगा। और प्रॉफिट होने से हमें दो फायदे होंगे एक तो जो हमने शेयर ख़रीदा हुआ हैं।

उनके प्राइस बड़ेगे और दूसरा अगर फ्यूचर में कंपनी डिविडेंड देने का डिसीजन लेती है। तो वह आज के डिविडेंड से बहुत ज्यादा होगा। क्योंकि प्रॉफिट भी आज से कई गुना ज्यादा बढ़ चुका होगा। दोस्तों ध्यान देने वाली बात यह भी है कि डिविडेंड देना या ना देना कंपनी के डायरेक्टर डिसाइड करते हैं।

अगर उन्हें लगता है कि प्रॉफिट का यूज बिजनेस बढ़ाने में कर सकते हैं। तो वह डिविडेंड नहीं देते और उन्हें लगता है कि बिजनेस बढ़ाना ना थोड़ा मुश्किल है। तो वह कंपनी का पाठ शेरहोल्डर के बीच बांट देते हैं।

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डिविडेंड कैसे मिलता है?

हम नहीं जानते है कि डिविडेंड प्रॉफिटेबल कंपनी या बड़ी और मजबूत कंपनी ही देती है तो हमें डिविडेंड्स चाहिए। तो हमें वैसी कंपनी के शेयर ख़रीड कर रखना होंगा जो लगातार डिविडेंड देती है। और ऐसे कंपनी के लिस्ट आपको ऑनलाइन सर्च से मिल जाएंगे आप कॉमेंट करोगे तो में एक लेख इस पर भी लिख दुगा।

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डिविडेंड लेने के कुछ स्टेप होते हैं जो हमें ध्यान में रखना चाहिए।

रिकॉर्ड डेट जिस डेट को आपका नाम कंपनी के एसएस शेरहोल्डर के रूप में होना चाहिए। डिविडेंड देने वाली कंपनी रिकॉर्ड डेट को पब्लिक की आनाउस करती है अगर आपका नाम कंपनी के रिकॉर्ड डेट में नहीं है तो आपको उस टाइम का डिविडेंड नहीं मिलेगा।

एक्स डिविडेंड डेट रिकॉर्ड डेट के जस्ट 1 दिन पहले अनाउंस करा जाता है कोई कंपनी जैसे ही रिकॉर्ड डेट अनाउंस करती है एक्स डिविडेंड डेट उसके 1 दिन पहले ही सेट हो जाता है।

अगर हमें किसी कंपनी के डिविडेंड चाहिए तो हमें उस कंपनी के शेर को एक्स डिविडेंड डेट से पहले खरीदना होता है। और अगर हम शेयर को एक्स डिविडेंड से पहले नहीं खरीदते तो हमें उस समय का डिविडेंड नहीं मिल पाएगा।

कंपनियां साल में कितनी बार भी डिविडेंड दे सकती है। और हर बार कंपनियां रिकॉर्ड डेट अनाउंस करती है। ताकि पब्लिक को पता चल सके कि अगर उन्हें डिविडेंड खरीदना है तो वह किस समय तक खरीद सकते हैं।

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अंतिम शब्द”

आशा करता हूं आपको यह समझ आ गया होगा डिविडेंड मीनिंग इन हिंदी आपको यह जानकारी कैसी लगी। हमें कमेंट करके जरूर बताएं आपका पसन्दीदा शेयर कोन सा है यह जनकारी जरूर शेयर करे। यह आर्टिकल अपने व्हाट्सएप ग्रुप फेसबुक पर शेयर जरूर करें ताकि दूसरों को जानकारी मिल सके।

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