इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है हिंदी में उदाहरण सहित

हेलो दोस्तों आज में आप को उधाहरण के साथ बताउगा की इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है। और कैसे करते है वीडियो के माध्यम से तो आप यह आर्टिकल पूरा जरूर पड़े और यह भी जानने को मिलेगा की बिना ब्रोकरेज दिए भी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है।

तो दोस्तों शुरू करते है:

Content of table

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है हिंदी में उदाहरण सहित

इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब है कि वह ट्रेडिंग जिसमें शेयरों या अन्य वित्तीय उपकरणों की खरीद और बेच सकते हैं और उन्हें एक ही दिन के भीतर ही बंधने का नियम होता है। इसका महत्व यह है कि इसमें ट्रेडर की व्यापारिक संपत्ति का जोखिम काफी कम होता है क्योंकि उन्हें शेयरों को लंबे समय तक नहीं धारण करना होता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग का महत्व

संक्षेप में लाभ या हानि इंट्राडे ट्रेडिंग के माध्यम से ट्रेडर समय सीमित होती है, इसलिए वे एक ही दिन में ही लाभ या हानि को संक्षेप में देख सकते हैं।

कम जोखिम इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर अपनी खरीददारी और बिक्री के निर्णयों को समय सीमित करता है, जिससे उनका निवेश का जोखिम कम होता है।

लाभ की गति इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर एक ही दिन में महसूस कर सकते हैं कि उनकी ट्रेडिंग की नजरिया कितनी प्रभावी है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के मुख्य रणनीतियाँ और तकनीकें

  1. स्कैल्पिंग: इस रणनीति में, ट्रेडर बहुत छोटे समयांतरों के लिए शेयरों को खरीद और बेचते हैं, जैसे कि केवल कुछ मिनटों या ही सेकंडों में।
  2. प्रत्येक ट्रेड के लिए निर्धारित लाभ और हानि का स्तर: ट्रेडर एक विशिष्ट लाभ या हानि के स्तर को निर्धारित करता है और जब उस स्तर तक पहुँच जाता है, तो वह ट्रेड को स्थिर कर देता है।
  3. तकनीकी साधनों का प्रयोग: ट्रेडर तकनीकी साधनों जैसे कि जॉन की स्टोकास्टिक्स, बोलिंजर बैंड्स, रेलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) आदि का प्रयोग करते हैं जो बाजार की स्थिति को विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
  4. लीवरेज: इंट्राडे ट्रेडिंग में, ट्रेडर लीवरेज का प्रयोग करके अपनी निवेश की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं, जिससे उनके लाभ की गति बढ़ सकती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ और जोखिम

  1. लाभ: इंट्राडे ट्रेडिंग के माध्यम से ट्रेडर एक ही दिन में अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
  2. जोखिम: इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए संभावित जोखिम बड़े होते हैं, क्योंकि बाजार की वोलेटिलिटी एक ही दिन में बदल सकती है और ट्रेडर का निवेश का कमाई खो सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के निर्णय पर प्रभाव डालने वाले कारक

तकनीकी विश्लेषण इंट्राडे ट्रेडिंग में, तकनीकी विश्लेषण का अहम योगदान होता है जो शेयरों की मूल्य चार्ट की मदद से बाजार के दिशा-निर्देश को समझने में मदद करता है।

बाजार के समाचार और घटनाए बाजार में हो रही घटनाओं और समाचारों का विश्लेषण करना भी इंट्राडे ट्रेडिंग निर्णयों पर प्रभाव डाल सकता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के सामान्य शब्द और जार्गन

बुल्स बाजार में उत्थान की स्थिति में शेयर खरीदने वाले व्यक्तियों को बुल्स कहा जाता है।

बेयर्स बाजार में गिरावट की स्थिति में शेयर बेचने वाले व्यक्तियों को बेयर्स कहा जाता है।

स्टॉप लॉस ट्रेडर को नुकसान को रोकने के लिए निर्धारित मूल्य जिस पर उन्हें शेयर बेच लेना चाहिए।

टार्गेट प्राइस ट्रेडर का लक्ष्य जिस मूल्य तक शेयर का मूल्य पहुंचना चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग और अन्य ट्रेडिंग शैलियों की तुलना

स्विंग ट्रेडिंग इसमें ट्रेडर एक से कई दिनों या सप्ताहों तक शेयरों को धारण करते हैं और उन्हें शॉर्ट टर्म में लाभ कमाते हैं।

पोजीशनल ट्रेडिंग इसमें ट्रेडर बहुत लंबे समय तक शेयरों को धारण करते हैं, जिससे वे उनके मूल्य में उच्चतम बदलाव के लाभ उठा सकते हैं।

भारतीय बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए शुरुआती टिप्स

बाजार की समझ शेयर बाजार की न्यूंतम जानकारी को हासिल करें।

अभ्यास पहले विचार करें और सिमुलेशन या डेमो खाता खोलें।

नियमित अभ्यास नियमित अभ्यास और सीखने से जीवन में सफलता हासिल करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

रिस्क प्रबंधन अपने निवेश को संरक्षित रखने के लिए एक समझदार रिस्क प्रबंधन की रणनीति का पालन करें।

इंट्राडे ट्रेडिंग में तकनीकी संकेतक

चालीस संकेतक (मूविंग अवेरगेस) इसे मुख्य और सापेक्ष रूप से शेयर के मूल्य की दिशा को निर्देशित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

आरएसआई (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) यह उत्तेजक स्थिति का प्रदर्शन करने के लिए उपयोग किया जाता है और शेयर की शक्ति और कमजोरी को मापता है।

बोलिंगर बैंड इसका उपयोग मूल्य की चर में अंतर का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।

बाजार की चपेट में आने से पहले इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए रिस्क प्रबंधन के तकनीकों को समझना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण तकनीकें हैं:

स्टॉप लॉस और निष्क्रिय कमाई ट्रेडर को नुकसान को रोकने के लिए एक स्टॉप लॉस निर्धारित करना चाहिए और यदि शेयर मूल्य यह स्तर पहुँचता है, तो वह निष्क्रिय हो जाना चाहिए।

पोजीशन साइजिंग ट्रेडर को अपने पोजीशन का आकार ध्यान में रखना चाहिए ताकि एक ही ट्रेड से पूरे पोर्टफोलियो को खतरे में न डालें।

ट्रेडिंग के नियमों का पालन ट्रेडर को अपनी ट्रेडिंग रणनीति और नियमों का पालन करना चाहिए ताकि वे अपने निवेश को संरक्षित रख सकें।

भारतीय शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग की सामान्य ट्रेडिंग घंटे दोपहर 3:30 बजे तक होते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग में व्यापारियों को असली बाजारी चाल और अस्थायी मूल्य के फर्क को पहचानने के लिए कुशलतापूर्वक होना चाहिए। यह अनुभवी ट्रेडरों की समझ और विश्लेषण की क्षमता को मानकृति और विकास करने की आवश्यकता होती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए प्रमुख प्लेटफॉर्म और टूल्स

  1. ज़ेरोढा: यह भारतीय शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए एक लोकप्रिय प्लेटफ़ॉर्म है।
  2. उपस्टेक्स यह भी एक अच्छा विकल्प है जो शेयर ट्रेडिंग के लिए बहुत सारे उपकरण प्रदान करता है।
  3. एंजेल ब्रोकिंग: यह एक अन्य प्रमुख ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म है जो ट्रेडर्स को अद्वितीय और उच्च गुणवत्ता की सेवाएं प्रदान करता है।

भारतीय शेयर बाजार में सफल इंट्राडे ट्रेडिंग स्थिति का वास्तविक उदाहरण

इस वीडियो में अच्छे से बताया गया है इंट्राडे ट्रेडिंग वह भी उदाहरण के साथ इस वीडियो को जरूर देखें

ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल

Q इंट्राडे ट्रेडिंग में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख तकनीकी संकेतक क्या हैं?

A. मूविंग एवरेज, RSI, बोलिंजर बैंड्स।

Q बाजार की चपेट में आने पर स्टॉप लॉस क्या कहलाता है?

A. नुकसान को रोकने के लिए निर्धारित मूल्य जिस पर शेयर बेचा जाता है।

Q. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सामान्य ट्रेडिंग घंटे क्या हैं?

A. दोपहर 3:30 बजे तक।

Q. स्विंग ट्रेडिंग और पोजीशनल ट्रेडिंग में अंतर क्या है?

A. स्विंग ट्रेडिंग में शेयरों को कुछ दिनों या सप्ताहों तक धारण किया जाता है, जबकि पोजीशनल ट्रेडिंग में शेयरों को बहुत लंबे समय तक धारण किया जाता है।

Q. ज़ेरोढा, उपस्टेक्स और एंजेल ब्रोकिंग के क्या हैं?

A. इंट्राडे ट्रेडिंग के प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म।

Spread the love

Leave a Comment