हेलो दोस्तों काफी सारे बिगिनर को कॉल ऑप्शन और पुट आप्शन में क्या अंतर है इसका कन्फूजन होता है यह लेख पड़ने के बाद आपको कन्फूजन नहीं रहेगा। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों ही स्टॉक मार्केट में इस्तेमाल होने वाले फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट्स हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य अंतर होते हैं।
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कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है?
कॉल ऑप्शन:
- खरीदने का अधिकार: कॉल ऑप्शन एक ऐसी समझौता है जिसमें खरीददार को स्टॉक खरीदने का अधिकार होता है, लेकिन यह किसी भी समय अनिवार्य नहीं होता कि वह स्टॉक खरीदेगा।
- प्रॉफिट: कॉल ऑप्शन होल्डर को तबही लाभ होता है जब अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से अधिक होता है। इसमें पॉटेंशियल अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है।
- रिस्क: कॉल ऑप्शन होल्डर को सिर्फ प्रीमियम एमाउंट तक ही लॉस उठाना होता है, जो कि कॉल ऑप्शन खरीदते वक्त दी जाती है।
- मार्किट एक्सपेक्टेशंस: कॉल ऑप्शन आमतौर पर तब खरीदी जाती है जब इन्वेस्टर को लगता है कि अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य बढ़ेगा।
- मार्किट मूवमेंट: जब मार्केट ऊपर जाता है तो कॉल का प्राइस भी ऊपर जाता है और पुट का प्राइस निचे आता है।
पुट ऑप्शन:
- बेचने का अधिकार: पुट ऑप्शन में खरीददार को स्टॉक बेचने का अधिकार होता है, लेकिन फिर भी यह अनिवार्य नहीं होता कि वह स्टॉक बेचेगा।
- प्रॉफिट: पुट ऑप्शन होल्डर को तबही लाभ होता है जब अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य पुट ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से कम होता है। इसमें पॉटेंशियल अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है।
- रिस्क: पुट ऑप्शन होल्डर को सिर्फ प्रीमियम एमाउंट तक ही लॉस उठाना होता है, जो कि पुट ऑप्शन खरीदते वक्त दी जाती है।
- मार्किट एक्सपेक्टेशंस: पुट ऑप्शन आमतौर पर तब खरीदी जाती है जब इन्वेस्टर को लगता है कि अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य गिरेगा।
- मार्किट मूवमेंट: जब मार्केट निचे गिरता है तो पुट का प्राइस ऊपर जाता है और कॉल का प्राइस निचे गिरता है।
सामान्य अंतर:
- स्ट्राइक प्राइस: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों में स्ट्राइक प्राइस होती है, लेकिन उनका इस्तेमाल अलग-अलग होता है। कॉल ऑप्शन में इन्वेस्टर किसी स्टॉक को खरीदने के लिए स्ट्राइक प्राइस तय करता है, जबकि पुट ऑप्शन में इन्वेस्टर किसी स्टॉक को बेचने के लिए स्ट्राइक प्राइस तय करता है।
- एक्सपायरी डेट: दोनों में समाप्ति तिथि होती है, जिसमें इन्वेस्टर को अपना अधिकार इस्तेमाल करना होता है। समाप्ति तिथि के बाद ऑप्शन स्वचालित रूप से समाप्त हो जाता है।
- प्रीमियम: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों में इन्वेस्टर को ऑप्शन के लिए एक प्रीमियम राशि देनी होती है, जो ऑप्शन खरीदते वक्त तय की जाती है।
- मार्केट वोलैटिलिटी: ऑप्शन प्राइसेस मार्केट वॉलेटिलिटी पर आधारित होती हैं। ज्यादा वॉलेटिलिटी के दौरान ऑप्शन प्राइसेस बढ़ सकती हैं।
- हेजिंग: दोनों ऑप्शन का इस्तेमाल हेजिंग के लिए किया जाता है, जिससे इन्वेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट्स को मार्केट के फ्लक्च्युएशन्स से बचा सकता है।
निष्कर्ष:
आसा करता हु की आप को कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन में क्या अंतर है समझ आया होगा, दोस्तों इन दोनों ऑप्शंस के अंतर को समझ कर इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट गोल और मार्केट एक्सपेक्टशंस के अनुसार सही ऑप्शन चूज कर सकते हैं। यह आर्टिक्ल अपने रिलेटिव को जरूर सेकंड करे जो इस विषय पर रूचि रखते हो धन्यवाद।