Call Option और Put Option में क्या अंतर है?

हेलो दोस्तों काफी सारे बिगिनर को Call option aur put option mein kya antar hai इसका कन्फूजन होता है यह लेख पड़ने के बाद आपको कन्फूजन नहीं रहेगा। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों ही स्टॉक मार्केट में इस्तेमाल होने वाले फाइनेंशियल इंस्ट्रुमेंट्स हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य अंतर होते हैं।

Call Option और Put Option में क्या अंतर है?

Call Option:

  1. खरीदने का अधिकार: कॉल ऑप्शन एक ऐसी समझौता है जिसमें खरीददार को स्टॉक खरीदने का अधिकार होता है, लेकिन यह किसी भी समय अनिवार्य नहीं होता कि वह स्टॉक खरीदेगा।
  2. Profit: कॉल ऑप्शन होल्डर को तबही लाभ होता है जब अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य कॉल ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से अधिक होता है। इसमें पॉटेंशियल अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है।
  3. Risk: कॉल ऑप्शन होल्डर को सिर्फ प्रीमियम एमाउंट तक ही लॉस उठाना होता है, जो कि कॉल ऑप्शन खरीदते वक्त दी जाती है।
  4. Market expectations: कॉल ऑप्शन आमतौर पर तब खरीदी जाती है जब इन्वेस्टर को लगता है कि अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य बढ़ेगा।
  5. Market movement: जब मार्केट ऊपर जाता है तो कॉल का प्राइस भी ऊपर जाता है और पुट का प्राइस निचे आता है।

Put Option:

  1. बेचने का अधिकार: पुट ऑप्शन में खरीददार को स्टॉक बेचने का अधिकार होता है, लेकिन फिर भी यह अनिवार्य नहीं होता कि वह स्टॉक बेचेगा।
  2. Profit: पुट ऑप्शन होल्डर को तबही लाभ होता है जब अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य पुट ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस से कम होता है। इसमें पॉटेंशियल अनलिमिटेड प्रॉफिट होता है।
  3. Risk: पुट ऑप्शन होल्डर को सिर्फ प्रीमियम एमाउंट तक ही लॉस उठाना होता है, जो कि पुट ऑप्शन खरीदते वक्त दी जाती है।
  4. Market expectations: पुट ऑप्शन आमतौर पर तब खरीदी जाती है जब इन्वेस्टर को लगता है कि अंडरलाइंग स्टॉक का मूल्य गिरेगा।
  5. Market movement: जब मार्केट निचे गिरता है तो पुट का प्राइस ऊपर जाता है और कॉल का प्राइस निचे गिरता है।

सामान्य अंतर:

  1. Strike price: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों में स्ट्राइक प्राइस होती है, लेकिन उनका इस्तेमाल अलग-अलग होता है। कॉल ऑप्शन में इन्वेस्टर किसी स्टॉक को खरीदने के लिए स्ट्राइक प्राइस तय करता है, जबकि पुट ऑप्शन में इन्वेस्टर किसी स्टॉक को बेचने के लिए स्ट्राइक प्राइस तय करता है।
  2. Expiry date: दोनों में समाप्ति तिथि होती है, जिसमें इन्वेस्टर को अपना अधिकार इस्तेमाल करना होता है। समाप्ति तिथि के बाद ऑप्शन स्वचालित रूप से समाप्त हो जाता है।
  3. Premium: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों में इन्वेस्टर को ऑप्शन के लिए एक प्रीमियम राशि देनी होती है, जो ऑप्शन खरीदते वक्त तय की जाती है।
  4. Market volatility: ऑप्शन प्राइसेस मार्केट वॉलेटिलिटी पर आधारित होती हैं। ज्यादा वॉलेटिलिटी के दौरान ऑप्शन प्राइसेस बढ़ सकती हैं।
  5. hedging: दोनों ऑप्शन का इस्तेमाल हेजिंग के लिए किया जाता है, जिससे इन्वेस्टर अपनी इन्वेस्टमेंट्स को मार्केट के फ्लक्च्युएशन्स से बचा सकता है।

Conclusion:

आसा करता हु की आप को Call option aur put option mein kya antar hai समझ आया होगा, दोस्तों इन दोनों ऑप्शंस के अंतर को समझ कर इन्वेस्टर अपने इन्वेस्टमेंट गोल और मार्केट एक्सपेक्टशंस के अनुसार सही ऑप्शन चूज कर सकते हैं। यह आर्टिक्ल अपने रिलेटिव को जरूर सेकंड करे जो इस विषय पर रूचि रखते हो धन्यवाद।

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दोस्तों मेरा नाम सोनू है दिल्ली में रहता हूँ Stock Market में काफी ज्यादा रुचि रखता हूं और कई सालों का अनुभव है काफी सालो से स्टॉक मार्किट में इंट्राडे ट्रेडिंग और स्टॉक में इन्वेस्ट करना सिख रखा हु, और मुझे लेकिन खाली समय में लिखना भी पसंद है इसीलिए मैं ब्लॉग के माध्यम से अपने विचारो को आप के साथ साझा करता हु।

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