सबसे बेस्ट इंडिकेटर कौन सा है?

सबसे बेस्ट इंडिकेटर कौन सा है आज इस पर चर्चा करेंगे दोस्तों सबसे बेस्ट वह इंडिकेटर जो आपको चलाना आता है जिस इंडिकेटर में आप कम्फर्ट हो। चाहे वह कोई भी इंडिकेटर हो जैसे कि मूवींग एवरेज, आर एस आई, बोलिंजर बैंड, वॉल्यूम इंडिकेटर, फिबोनैकी रिट्रेसमेंट, और भी अन्य।

जरुरी यह नहीं की बेस्ट इंडिकेटर कोन सा है आपको इनमें क्या चलाना आता है यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि किसी ट्रेडर के लिए कोई इंडिकेटर बेस्ट किसी और ट्रेडर के लिए कोई और इंडिकेटर बेस्ट है। इसीलिए यह बताना थोड़ा मुश्किल है कि सबसे बेस्ट इंडिकेटर कौन सा है।

हां लेकिन यह बता सकता हु की सबसे ज्यादा कौन -कौन से इंडिकेटर इस्तेमाल किये जाता है। इसके आधार पर सबसे बेस्ट इंडिकेटर का चुनाव किया जा सकता है। तो विस्तार से जानते है की बेस्ट इंडिकेटर कौन सा है।

सबसे बेस्ट इंडिकेटर कौन सा है?

सबसे बेस्ट इंडिकेटर और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले इंडिकेटर यह 4 है।

  • मूविंग अवेरगेस
  • बोलिंगर बैंड्स
  • मोमेंटम ओस्किल्लातोर्स
  • रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स

इस इंडिकेटर के बारे में विस्तार से जानते हैं

मूविंग अवेरगेस:

मूविंग एवरेज एक प्रकार का टेक्निकल इंडिकेटर टूल है जो फाइनेंसियल मार्केट में यूज़ किया जाता है यह टोल फास्ट प्राइस डाटा को एनालाइज करके बताता है। और प्राइस मूवमेंट को समझाने में मदद करता है मूवी एवरेज को इस्तेमाल करके ट्रेडर और इन्वेस्टिंग मार्केट की निरीक्षण और पोटेंशियल एंट्री – एग्जिट प्वाइंट को समझने की कोशिश करता है यह सबसे अच्छा इंडिगेटर माना जाता है।

मूविंग एवरेज प्राइस डेटा को स्मूथ और एवर्ज वैल्यू कैलकुलेट करता है जिससे मार्केट की नॉइस और वोलैटिलिटी रेडियस हो जाती है। इससे ट्रेन लाइन भी बनाई जाती है प्राइस वैल्यू को प्रीडेट करने के लिए।

मूविंग एवरेज किसी भी समय के निर्धारित पीरियड के प्राइस डाटा के लिए कैलकुलेट किया जाता है। जैसे की 50 मूविंग एवरेज 200, 100, और आदि, यह पीरियड ट्रेडर या इन्वेस्टर के प्रिफरेंस और टाइम फ्रेम पर डिपेंड करता है।

EMA

मूविंग एवरेज कितने प्रकार की होती है।

मूविंग एवरेज 2 प्रकार के होते है?

  • सिंपल मूविंग एवरेज (SMA)
  • एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA)

सिंपल मूविंग एवरेज (SMA ) SMA एक बेसिक फॉर्म है जिसमें हर प्राइस प्वाइंट का बराबर वेटेज होता है। SMA कैलकुलेट करने के लिए निर्धारित पीरियड के प्राइस डेटा को टोटल करके उसको पीरियड से डिवाइड किया जाता है। इस प्राइस प्वाइंट का एवरेज निकलता है।

एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA): EMA, EMA की कम्पेरिजन में रीसेंट प्राइस पॉइंट्स को ज्यादा वेटेज दिया जाता है। इसमें सबसे लेटेस्ट प्राइस पॉइंट्स को ज्यादा महत्व दिया जाता है। जैसे रीसेंट के प्राइस परिवर्तनों को रिफ्लेक्ट करने में मदद मिलती है। EMA का फॉर्मूला थोड़ा कॉम्प्लेक्स होता है, जिसमें हर प्राइस प्वाइंट को एक वेटेज फैक्टर से गुणा किया जाता है।

मूविंग एवरेज के अलग-अलग कॉम्बिनेशन और क्रॉसओवर का इस्तमाल किया जाता है ट्रेंड आइडेंटिफिकेशन के लिए। जब शॉर्ट-टर्म मूविंग एवरेज (जैसे 200) लॉन्ग-टर्म मूविंग एवरेज (जैसे 50) को क्रॉस करती है, तब ये एक बाय सिग्नल या सेल सिग्नल प्रदान करता है।

मूविंग एवरेज को इस्तेमाल से ट्रेडर और इन्वेस्टर मार्टेक की ट्रैंड, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल्स। और प्राइस रेवेर्सलस को समझ सकते है। और रेजिस्टेंस लेवल्स और प्राइस रेवेर्सल को समझ सकते है। इस टूल के सही इस्तेमाल के लिए प्रॉपर एनालिसिस और बेस्ट टेस्टिंग जरुरी है।

बोलिंगर बैंड्स:

दोस्तों बोललीगर बैंड् एक टेक्निकल एनालिसिस टूल है जो प्राइस वोलैटिलिटी और प्राइस लेवल्स के एनालसिस के लिए इस्तेमाल जाता है। जॉन बोलिंगर नाम के व्यक्ति ने इसे 1980 में बनाया था। बोलिंगर बैंड् चार्ट पर प्लाट किया जाता है और तीन लाइन्स बने होते है मिडिल बेंड, उप्पेर बेंड और लोअर बेंड।

Bollinger Bands

मिडल बेंड बोलिंजर बेंड का सेंटर लाइन होता है जो की 20 सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) होता है ये मिडल बेंड इंटरमीडिएट-टर्म ट्रेंड बताता है। अपर और लवर बेंड मिडडेले बेंड के आस पास पोजीशन लेते है और उनको आधार पर चलता है।

स्टैण्डर्ड डेविएशन वोलैटिलिटी का आधार है जिससे प्राइस फ्लुक्टुअटिओन्स का आईडिया मिलता है। अपर और लोअर बैंड् स्टैण्डर्ड देविएशन्स के मल्टीप्ल होने के कारन मिडिल बेंड से दूर पोजीशन लेते हैं। जब प्राइस वोलैटिलिटी बढ़ती है तो बैंड् एक्सपैंड होते हैं और जब वोलैटिलिटी काम होती है तो बैंड्स कॉन्ट्रैक्ट होते।

मोमेंटम ओस्किल्लातोर्स:

मोमेंटम ऑसिलेटर टेक्निकल एनालिसिस टूल है यह इंडिकेटर ट्रेंड की स्ट्रैंथ को दर्शाता है। ट्रेंड में स्ट्रैंथ है या नहीं इससे ट्रेडर्स पता लगा बातें हैं कि वह अपनी पोजीशन कब तक होल्ड करें या फिर कब उनको ट्रेड में एंटर करना चाहिए। और कब रिवर्स आ सकता है इसका भी पता लगा सकते है यह भी अच्छा इंडिकेटर है।

मोमेंटम ऑसिलेटर इंडिकेटर से आप इंट्राडे ट्रेड का पोजीशन ट्रेड नहीं बना सकते हैं इसको आप किसी और इंडिगेटर के साथ मिलाकर एंट्री और एग्जिट का प्लान करें। ताकि आपकी एक्यूरेसी और ज्यादा बढ़ सके इस इंडिकेटर को अगर आप सिंगल इस्तेमाल करते हैं तो ज्यादा सटीक ट्रेड मिलने की संभावना कम है।

Momentum Oscillators

दोस्तों मोमेंटम ऑसिलेटर इंडिकेटर के साथ अगर आप कोई अपना सेटअप या किसी और इंडिगेटर को इसके साथ इस्तेमाल करते हैं। तो यह ध्यान रखें कि आपका स्टॉपलॉस छोटा होना चाहिए और टारगेट आपका बड़ा होना चाहिए इसका इस्तेमाल करके आप मार्केट के स्ट्रैंथ का पता आसानी से लगा सकते हैं।

जिससे कि आप ऑप्शन बाइंग भी बड़े आराम से कर सकते हैं। और साइडवे मार्केट से बच सकते हैं क्योंकि ऑप्शन बाइंग में ज्यादातर लॉस साइडवे मार्केट में ही होता है। क्योंकि इसमें आपको मोमेंटम चाहिए होता है।

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स: (RSI)

RSI इंडिकेटर ऐसा इंडिकेटर है जो काफी ज्यादा शेयर मार्केट में इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडर और इन्वेस्टर दोनों ही करते हैं इस इंडिकेटर से यह पता लगाया जाता है। की मार्केट में स्ट्रैंथ है या वीकनेस इसमें 0 से 100 तक नंबर होता है और इसी नंबर से पता लगाया जाता है कि मार्केट में स्टैंड है या फिर वीकनेस।

Relative Strength Index

  • जब RSI 30 के नीचे आता है तो वह ओवरसोल्ड में आ जाता है और ट्रेडर्स यह मानते हैं कि अब रिवर्सल आने वाला है मार्केट में ट्रेडर्स रिवर्सल ट्रेड लेने की प्लानिंग करते हैं।
  • और ठीक इसका उल्टा जब RSI 70 के ऊपर चला जाता है तो ट्रेडर्स यह मानते हैं कि मार्केट ओवरबोट हो गया है और वहां से रिवर्सल प्लान करते हैं बेरिश साइड में ढूंढते हैं।

दोस्तों RSI वैसे तो बाय ओर सेल सिगनल देता है लेकिन इसके सिग्नल पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में क्योंकि यह काफी ज्यादा फॉल्स सिग्नल देता है इसके साथ आप कोई और सेटअप या कोई और इंडिकेटर इस्तेमाल कर सकते हैं।

जो की एक सटीक एंट्री और एग्जिट हमें बताता हो इससे हम सिर्फ और ओवरसोल्ड और ओवरबॉट का पता लगा सकते हैं। मतलब की मार्केट में रिवर्सल कब आने वाला है इसका पता RSI इंडिकेटर से लगाया जाता है।

Spread the love

Leave a Comment