ट्रेडिंग के प्रकार हिंदी में?

नमस्कार दोस्तों इस आर्टिकल में जान्ने वाले हैं कि ट्रेडिंग के प्रकार हिंदी में ट्रेडिंग कितने प्रकार की होता है, काफी सारे हमारे दोस्त जो हैं वह जान नहीं पाते की ट्रेडिंग कितने प्रकार की होता है। वह सारे प्रकार की ट्रेडिंग कर लेते हैं, ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह पता होना जरूरी है कि आप कौन से प्रकार की ट्रेडिंग कर रहे हैं,

क्योंकि काफी बार ऐसा देखा गया है कि आपको इंट्राडे के लिए पोजीशन बनाना था और आपका उसमें थोड़ा बहुत लॉस हुआ और आपने पोजीशन को होल्ड कर लिया, फिर वह बी.टी.एस.टी या एस.टी.बी.टी ट्रेडिंग से वह है

स्विंग ट्रेडिंग बन गया स्विंग ट्रेडिंग से शॉर्ट टर्म इन्वेस्टर बन गया, फिर धीरे-धीरे आपने पोजीशन होल्ड कर लिया लॉन्गटर्म इन्वेस्टिंग के लिए, तो काफी बार ऐसा देखा गया है इसी को समझने के लिए चलो जानते हैं कि ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है, टाइप्स ऑफ़ ट्रेडिंग ताकि आप डिसाइड कर पाओ कि आप कौन सी ट्रेडिंग करना चाहते हो।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के प्रकार|

आज से काफी साल पहले ट्रेडिंग सिर्फ 5 प्रकार की होती थी लेकिन समय के साथ बदलाव आते-आते ट्रेडिंग आज के समय में 14 प्रकार की होती है जिन्हें आज विस्तार से समझेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि यह 14 प्रकार की ट्रेडिंग कौन सी है, और उसको किस प्रकार से किया जाता है।

ध्यान रहे की हर एक ट्रेडिंग के लिए अलग-अलग स्ट्रेटेजी होते हैं इसीलिए एक स्ट्रेटजी को किसी और ट्रेडिंग में इस्तेमाल न करें, हां आप बैक टेस्ट करके देख सकते हैं कि वह दूसरे ट्रेडिंग में कैसा विनिंग रेट है उसके हिसाब से आप डिसीजन ले सकते हैं।

सभी ट्रेडिंग प्रकार सूची हिंदी और अंग्रेजी

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग
  2. पोजिशनल ट्रेडिंग
  3. डिलीवरी ट्रेडिंग
  4. स्विंग ट्रेडिंग
  5. बी.टी.एस.टी और एस.टी.बी.टी ट्रेडिंग
  6. स्कैल्पिंग ट्रेडिंग
  7. आर्बिट्रेज ट्रेडिंग
  8. मोमेंटम ट्रेडिंग
  9. फ्यूचर ट्रेडिंग
  10. ऑप्शन ट्रेडिंग
  11. मार्जिन ट्रेडिंग
  12. एल्गो ट्रेडिंग
  13. मुहूर्त ट्रेडिंग
  14. समाचार और इवेंट ट्रेडिंग

1. इंट्राडे ट्रेडिंग

दोस्तों इंट्राडे ट्रेडिंग एक तरह का स्टॉक मार्केट का काम है जिसमें लोग एक ही दिन में ही कुछ समय के लिए किसी शेयर या अन्य फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट्स को खरीदने हैं, और फिर उसे दिन बेच देते हैं मतलब यह trading सिर्फ एक दिन के लिए ही होती है।

सभी खरीदी गई चीज उसी दिन बिक जाती है यह ट्रेडिंग काम कैसे करती है इसे उदहारण से समझते है आप को लगता है कि किसी कंपनी का स्टॉक प्राइस आज बढ़ेगा, तो आप स्टॉक को खरीद लेते हो और शाम को जब उसका प्राइस बढ़ जाता है उसे बेच देते हो इसमें आपको प्रॉफिट होता है।

लेकिन ध्यान रहे अगर स्टॉक प्राइस घट गया तो नुकसान भी हो सकता है इंट्राडे ट्रेडिंग में लोग मार्केट के छोटे-मोटे मूवमेंट्स का फायदा उठाते हैं इसमें रिस्क भी होता है

क्योंकि मार्केट में कुछ भी किसी भी समय बदल सकता है इसलिए जो लोग करते हैं वह अच्छी तरह से मार्केट को समझने वाले होते हैं और उनके पास इसमें इन्वेस्ट करने का सही ज्ञान होता है।

2. पोजिशनल ट्रेडिंग

पोसिशनल ट्रेडिंग एक तरीका है शेयर बाजार में व्यापार करने का जिसमें व्यक्ति अपने शेयर को कुछ दिन या महीना तक रखता है,
यानी लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करता है जब कोई व्यक्ति शेयर को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड रखता है ,तो इस Positional Trading कहते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग में व्यक्ति कंपनी के परफॉर्मेंस और मार्केट ट्रेंड्स को ध्यान में रखता है, और उसके अकॉर्डिंग अपने शेयर को होल्ड या बेचता है।

इसमें ट्रेडर्स को दिन या हफ्ते भर का समय नहीं देना पड़ता जिसे यह ट्रेडिंग स्टाइल उन लोगों के लिए है जो बिजी होते हैं, या स्टडीज कर रहे हैं Positional Trading में पेसेन्स बहुत इंपोर्टेंट होता है।

उनकी शेयर के प्राइस में लंबा समय तक ऊपर या नीचे होने में वक्त लगता है दोस्तों पोजीशनल ट्रेडिंग एक स्ट्रैटेजिक अप्रोच है जो लॉन्ग टर्म में आपको अच्छा रिटर्न मिलता है लेकिन इसमें मार्केट के ट्रेंड को ध्यान से देखा जाना चाहिए कभी-कभी थोड़ा रिस्क भी होता है इसलिए हमेशा अपने financial advisor से सलाह करें और ध्यान से रिसर्च करें।

3. डिलीवरी ट्रेडिंग

डिलीवरी ट्रेडिंग एक स्टॉक मार्केट टर्म है जब हम स्टॉक खरीदने हैं और उन्हें अपने डिमैट अकाउंट में रखकर लंबे समय तक होल्ड करते हैं, उसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहते हैं जब आप किसी शेयर को खरीदते हैं।

आपको उसके ओरिजिनल फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट चाहिए, तब आप डिलीवरी ट्रेडिंग कर रहे हैं इसमें आप शेयर को मार्केट के करंट प्राइस पर खरीदते हैं और फिर उन्हें अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं डिलीवरी ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक इन्वेस्टमेंट करना होता है।

इसमें आप शेयर को कुछ महीने या सालों तक होल्ड करके उसके वैल्यू में होने वाले बदलाव का इंतजार करते हैं, जब आप डिसाइड करते हैं कि आपको अपने शेयर को बेचने का सही वक्त है, तब आप उसे Delivery के रूप में बेचते हैं यह तरीका थोड़ा लंबे समय तक इन्वेस्ट करने का होता है।

आप थोड़ा सा इन्वेस्ट करके लंबे समय तक होल्ड करना चाहते है तो डिलीवरी ट्रेडिंग एक अच्छा तरीका हो सकता है लेकिन ध्यान रहे कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते वक्त हमेशा रिस्क होता है,

और सही समय पर बेचने और खरीदने में ध्यान देना इंपॉर्टेंट है आपको मार्केट और ट्रेडिंग के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट या एडवाइजर से बात कर सकते है।

4. स्विंग ट्रेडिंग

स्विंग ट्रेडिंग में लोग स्टॉक या अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स को कुछ दिन या कुछ हफ्तों के लिए हॉलड करते हैं यानी कि खरीदत हैं और थोड़ा समय बाद बेजते हैं, इसमें ट्रेडर्स मार्केट के स्विंग यानी ऊपर नीचे चलने वाले मूवमेंट्स का फायदा उठाते हैं।

अगर में सिंपल भाषा में समझाऊं तो मनो आप एक केक बना रहे हो, और उसमें कुछ लेयर्स हैं हर एक लेयर रिप्रेजेंट करता है एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड जैसे एक दिन या एक हफ्ते स्विंग ट्रेडर्स यह देखते हैं की मार्केट का ट्रेंड किस तरह का है,

फिर ट्रेंड के हिसाब से स्टॉक्स को खरीदते हैं और जब वह स्टॉक्स उनकी एक्सपेक्टेड वैल्यू तक पहुंच जाते हैं तो वह उसे बेच देते हैं,

यह ट्रेडिंग स्टाइल थोड़ा लॉन्ग टर्म होता है कंपेयर्ड इसमें पेशेंस और मार्केट ट्रेंड्स को समझना इंपॉर्टेंट होता है और हां हमेशा याद रखना कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते वक्त रिस्क भी होता है, इसलिए अच्छी तरह से रिसर्च करना और रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखना भी इंपोर्टेंट है।

5. बी.टी.एस.टी और एस.टी.बी.टी ट्रेडिंग

बी.टी.एस.टी और एस.टी.बी.टी ट्रेडिंग यह एक शेयर मार्केट ट्रेडिंग की strategy है, बी.टी.एस.टी का मतलब होता है बाय टुडे सेल टुमारो जबकि एस.टी.बी.टी का मतलब होता है सेल टुडे बाय टुमारो

  • बी.टी.एस.टी Trading (Buy Today Sell Tomorrow): जब आप बी.टी.एस.टी ट्रेडिंग करते हैं तो आप एक दिन में कोई शेयर खरीदने हैं और उसे अगले दिन बेचते हैं इसमें आप एक्सपेक्ट करते हैं कि शेयर का प्राइस अगले दिन बढ़ेगा, और आप प्रॉफिट कमा सकेंगे।
  • एस.टी.बी.टी Trading (Sell Today Buy Tomorrow): ट्रेडिंग में आप एक दिन में कोई शेयर बेजते हैं ”यानि शॉर्ट करना” और उसे अगले दिन खरीदने हैं यहां आप एक्सपेक्ट करते हैं कि शेयर का प्राइस गिरेगा, और आप उसमें से प्रॉफिट कामा सकेंगे।

यह स्ट्रेटेजी मार्केट वोलैटिलिटी का फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल होती है इनमें रिस्क भी होता है कि शेयर मार्केट में प्राइस में तेजी या मंदी आने का कोई गारंटी नहीं होता। ध्यान रहे की बी.टी.एस.टी और एस.टी.बी.टी Trading के लिए आपको मार्केट ट्रेंड्स का अच्छे से एनालिसिस करना आना चाहिए।

स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करने से पहले आपको मार्केट के निगरानी में रहना होगा। और ध्यान से रिसर्च करना होगा शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते वक्त हमेशा रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखें और सिर्फ वह पैसा इस्तेमाल करें जो आप अफोर्ड कर सकते हैं।

6. स्कैल्पिंग ट्रेडिंग

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग दोस्तों यह भी एक स्ट्रेटजी है जिसमें ट्रेडर्स बहुत छोटी मूवमेंट्स का फायदा उठाते हैं, इसमें स्टॉक, करेंसी, या अन्य फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट को कुछ सेकंड्स या मिनिट्स के लिए होल्ड किया जाता है तब तक जब तक छोटा प्रॉफिट ना हो जाए।

स्काल्पिंग का मुख्य उद्देश्य मार्केट की छोटी मूवमेंट से लाभ को उठाना होता है इस स्ट्रेटजी में ट्रेडर्स मार्केट में तेजी से घटित होने वाले छोटे बड़े प्राइस चेंज को ध्यान से ऑब्जर्व करते हैं और उनमें से छोटे प्रॉफिट कमाने का प्रयास करते हैं।

स्काल्पिंग में ट्रेडर्स अपने पोजीशन को अधिकतर एक दिन के अंदर ही खुला रखकर मार्केट की छोटी बड़ी हरकतों का फायदा उठाते हैं स्काल्पिंग का मूल मंत्र यह होता है की छोटी तेजी से मूवमेंट्स फ्रिक्वेंट होते हैं और इनका फायदा तुरंत उठाया जा सकता है।

लेकिन इस स्ट्रेटजी में रिस्क भी बढ़ जाता है और इसके लिए ट्रेडर्स को मार्केट को तेजि से समझना और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए, याद रहे की ट्रेडिंग में रिस्क हमेशा होते हैं इसलिए Scalping या किसी भी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी को समझने के लिए अच्छी तरह से तैयारी और समझदारी जरुरी है।

7. आर्बिट्रेज ट्रेडिंग

आर्बिट्रेज ट्रेडिंग एक तरीका है जिसमें ट्रेडर्स अच्छा प्रॉफिट कमाते हैं, फायदा उठाकर जब मार्केट के डिफरेंट प्राइस को एक्सप्लोइट होता हैं। यह तब हो सकता है जब कोई एसिड जैसे स्टॉक करेंसी या कमोडिटीज किसी एक मार्केट में एक प्राइस पर खरीदा या बचा जा सकता है।

जबकि दूसरे मार्केट में उसका प्राइस अलग होता है आर्बिट्रेज ट्रेडिंग करते समय आप एक मार्केट में लो प्राइस पर खरीदते हैं और दूसरे मार्केट में हाई प्राइस पर भेजते हैं जिससे आपको प्रॉफिट होता है यह प्रक्रिया तेजी से और ऑटोमेटेड तरीके से ज्यादा तर होता है।

प्राइस डिफरेंस छोटी होती है और जल्दी चेंज होती रहती है

आर्बिट्रेज ट्रेडिंग स्टॉक, क्रिप्टोकरेंसीज, कमोडिटीज,और करेंसी, में ज्यादा तर होता है लेकिन ध्यान रहे यह कम रिस्क भरा होता है और मार्केट कंडीशंस पर डिपेंड करता है इसलिए आप को ध्यान से और समझदारी से काम करना चाहिए।

8. मोमेंटम ट्रेडिंग

मोमेंटम ट्रेडिंग यह एक स्ट्रेटजी है स्टॉक मार्केट की इसको इन्वेस्टर और ट्रेडर दोनों इस्तेमाल करते हैं,
जल्दी से प्रॉफिट कमाने के लिए क्योंकि दोस्तों इसमें प्रॉफिट काफी ज्यादा तेजी से होता है और लॉस भी काफी ज्यादा तेजी से होता है

इसीलिए इसको एक्सपीरियंस ट्रेड या इन्वेस्टर ही ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं।

आप अगर बिगनर हो तो ऐसी स्ट्रेटजी को आप एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही इस स्ट्रेटजी को इस्तेमाल करें या फिर पेपर ट्रेडिंग से प्रेक्टिस करें,

उसके बाद अपना रियल पैसा लगाकर ट्रेडिंग करें धियान रहे कि इसमें लॉस और प्रॉफिट दोनों तेजी से होता है।

9. फ्यूचर ट्रेडिंग

फ्यूचर ट्रेडिंग यानी कि आने वाले समय में किसी सामान या मूल्य का निवेश करना ट्रेडर या इन्वेस्टर के बीच एक एग्रीमेंट होता है इसमें दो व्यक्ति या फिर कंपनी एक दूसरे के साथ डील करते हैं, कि कोई समान या मूल्य निर्धारित समय पर और निर्धारित कीमत पर खरीदा जाएगा।

ट्रेडर या इन्वेस्टर स्टॉक मार्केट या किसी अन्य कमोडिटी मार्केट में होता है फॉर एग्जांपल अगर आप सोचते हो कि एक स्ट्रोक या किसी और आइटम का मूल्य बढ़ेगा तो आप फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट साइन करके उसको आज के दम पर खरीद सकते हो।

लेकिन इसे फ्यूचर में मिलने वाले दाम पर अपने नुकसान या फायदे को कंट्रोल करने का प्रयास करते है ध्यान रहे फ्यूचर ट्रेडिंग में रिस्क भी होता है, और इसके लिए ट्रेडर या इन्वेस्टर को अच्छी तरह से रिसर्च करना चाहिए।

10. ऑप्शन ट्रेडिंग

दोस्तों ऑप्शन ट्रेडिंग में दो प्रकार के ट्रेडर्स होते हैं एक होता है ऑप्शन बायर जो ऑप्शन को बाई करता है, दूसरा सेलर जो की ऑप्शन को सेल करता है ऑप्शन ट्रेडिंग स्टॉक और इंडेक्स में ज्यादातर किया जाता है इसमें मंथली और वीकली एक्सपायरी होता है।

अगर ऑप्शन खरीदते हैं तो एक्सपायरी से पहले बेचना पड़ता है नेता जोभी प्राइस होगा वह 0 हो जाता है एक्सपायरी के दिन, इसको बेच भी सकते हैं और खरीद भी सकते हैं इसमें कॉल ce और पुट pe होता है

  • कॉल (CE): का मतलब होता है मार्केट ऊपर जाएगा तब कॉल का प्राइस बढ़ता है
  • पुट (PE): का मतलब होता है जब मार्केट नीचे गिरता है फिर फुट का प्राइस बढ़ता है

इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है इसीलिए इसको किसी एक्सपर्ट ट्रेड के निगरानी में ही करें।

11. मार्जिन ट्रेडिंग

मार्जिन ट्रेडिंग ट्रेडिंग करने का एक प्रोसेस है इसमें ट्रेड या इन्वेस्टर ब्रोकर से ट्रेडिंग करने के लिए मार्जिन लेते हैं, मार्जिन यानी कैपिटल ट्रेडिंग करने के लिए ब्रोकर से कैपिटल लेते हैं आप इस तरह से समझ सकते Margin को,

उसके हिसाब से ही आपका लॉस या प्रॉफिट होता है इसमें आपको 5x 50x या इससे भी ज्यादा मार्जिन मिल जाता है जो आपका ब्रोकर देता है यह हाई रिस्की होता है।

इसमें मनी मैनेजमेंट का काफी ज्यादा रोल होता है बिना मनी मैनेजमेंट के आप इसको नहीं कर सकते अगर आप बिगनर है तो करना भी नहीं चाहिए।

12. एल्गो ट्रेडिंग

एल्गो ट्रेडिंग ट्रेडिंग इसलिए करते हैं क्योंकि वह इमोशन से दूर रह सके या फिर उनको ज्यादा स्क्रीन ना देखना पड़े, अन्य रीजन भी हो सकते हैं

एल्गो ट्रेडिंग ऑटोमेटिक ट्रेडिंग होता है जिसे कंप्यूटर खुद ही बाय और सेल करता है इसमें स्ट्रेटजी बनानी पड़ती है और उसे स्ट्रेटजी को कंप्यूटर पर ऑटोमेटिक करना पड़ता है जिससे कि एल्गो ट्रेडिंग बनता है।

इसमें काफी अच्छा रिटर्न मिलता है और ट्रेडर्स को Algo बनाने के बाद ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ता है और वह आराम से ट्रेडिंग कर पाते हैं लेकिन इसमें भी रिस्क हाई होता है।

कभी कबार अगर सिस्टम काम नहीं कर तो काफी लॉस भी हो सकता है या फिर स्ट्रेटजी आपने सही से नहीं बनाई और उसको अपने ऑटोमेटिक कर दिया तो भी आपका काफी भारी नुकसान हो सकता है इसीलिए एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए आपको काफी अच्छा ट्रेडिंग का अनुभव होना चाहिए।

13. मुहूर्त ट्रेडिंग

मुहूर्त ट्रेडिंग दिवाली के दिन किया जाता है यह कुछ घंटे का सेशन होता है यानि कुछ घंटे के लिए मार्किट खुलता है, इस दिन ट्रेडर्स और इन्वेस्टर इन्वेस्ट करते हैं या फिर अपने पोजीशन को मैनेज करते हैं,

और कुछ ट्रेडर इस दिन इंट्राडे भी करते हैं यह दिन को शुभ माना जाता है इसीलिए मुहूर्त ट्रेडिंग भारत में कई वर्षों से होता आ रहा है।

14. समाचार और इवेंट ट्रेडिंग

समाचार और इवेंट ट्रेडिंग का मेन कॉन्सेप्ट यह है कि जब कोई इंपॉर्टेंट फाइनेंशियल इवेंट होता है जैसे किसी कंपनी का बड़ा अनाउंसमेंट इकोनामिक इंडिकेटर्स का रिलीज या फिर कोई बड़ी खबर तो स्टॉक मार्केट में बहुत तेजी से रिएक्शंस ला सकता हैं।

ट्रेडर्स इस अपॉर्चुनिटी का फायदा उठाकर जल्दी से स्टॉक्स बाय या सेल करते हैं ताकि उन्हें न्यूज़ के इंपैक्ट से होने वाले प्राइस मोमेंट का फायदा हो यह स्ट्रेटजी उन लोगों के लिए होती है, जो मार्केट के शॉर्ट टर्म मूवमेंट्स को पकरना चाहते हैं

लेकिन याद रहे इस स्ट्रेटजी में रिस्क भी ज्यादा होता है क्योंकि न्यूज़ के रिएक्शन में मार्केट काफी वोलेटाइल हो जाता है जिससे काफी बड़ा लॉस या फायदा हो सकता है,

जो ट्रेडर्स या समाचार और इवेंट ट्रेडिंग बेस ट्रेडिंग करते हैं वह काफी एक्सपीरियंस वाले होते हैं आप अगर नए हो तो आप किसी एक्सपीरियंस ट्रेड या फिर एक्सपीरियंस इन्वेस्टर के निगरानी में ही ट्रेड या निवेश करे।

निष्कर्ष:

आशा करता हूं यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आपको कोई और आर्टिकल नहीं पढ़ना पड़ेगा टाइप्स ऑफ़ ट्रेडिंग के रिकॉर्डिंग यह आर्टिकल आपको अच्छा इनफॉरमेशन मिला तो अपने रिलेटिव को शेयर जरूर करें जो स्टॉक मार्केट में रुचि रखते हैं धन्यवाद।

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