Option buyer aur option seller mein kya anter hai?

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं Option buyer aur option seller mein kya anter hai? काफी सारे बिगिनर्स का यह सवाल होता है वह नहीं समझ पाते हैं इसमें अंतर क्या है तो, आज इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे Option bar vs option seller और इन दोनों के रिकी कितना है और रिवॉर्ड कितना है इसको जानने से पहले कुछ बेसिक चीज समझते हैं।

Option Kya Hai?

ऑप्शन स्टॉक मार्केट का फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट् है यह इंडेक्स और स्टॉक में या किसी अन्य पैअर में पाया जाता है जैसे कि कम्युनिटी या बिटकॉइन जैसे इंस्ट्रूमेंट् में भी आपको देखने को मिल जाएगा इसमें दो पहलू होते हैं पुट और कॉल

  • जब मार्केट का प्राइस ऊपर जाता है तो कॉल का प्रीमियम बढ़ता है लेकिन पुट का प्रीमियम घटना है, और ठीक इसका उल्टा
  • जब मार्केट का प्राइस घटना है तो कॉल का प्रीमियम भी घटना है लेकिन फुट का प्रीमियम बढ़ता है।

Option buyer aur option seller mein kya anter hai?

Option Buyer – The Enthusiast

ऑप्शन बायर वह इन्वेस्टर होता है जो एक स्टॉक के ऊपर या नीचे होने वाले मूवमेंट से फायदा उठाना चाहता है, लेकिन बिना एक्चुअल स्टॉक या इंडेक्स इत्यादी को खरीदने के इसके लिए ऑप्शन बायर एक स्माल प्रीमियम खरीदता है, जिसे कॉल या पुट ऑप्शन कहते हैं।

1. Call Option Buyer: अगर कोई इन्वेस्टर या ट्रेडर स्टॉक का प्राइस बढ़ने का फायदा उतना चाहता है, तो वह कॉल ऑप्शन ख़रीदेगा जैसे की अगर मनीष ने xyz कंपनी के स्टॉक का कॉल ऑप्शन ख़रीदा है और स्टॉक का प्राइस बढ़ गया तो, मनीष को उस कॉल ऑप्शन में प्रॉफिट होगा।

2. Put Option Buyer: वहीं अगर कोई इन्वेस्टर या ट्रेडर चाहता है स्टॉक या इंडेक्स इत्यादि का प्राइस गिर रहा है और इसका फायदा उठाना चाहता है तो वह पुट ऑप्शन खरीदेगा और प्रॉफिट होने पर उसको बेच देगा।

Option Seller – The Strategist

ऑप्शन सेलर वह इन्वेस्टर या ट्रेड होता है जो की मार्केट जब सिडेवेस या वैलिडिटी का फायदा उठाता है, क्योंकि इसमें टाइम डेक होता है और इसका फायदा ऑप्शन सेलर को मिलता है। ऑप्शन सेलर बिना ऑप्शन को खरीदे सेल करता है और इसमें काफी सारी स्ट्रेटजी है जिसको ऑप्शन सेलर इस्तेमाल करके काफी अच्छा अपने कैपिटल पर रिटर्न निकलता है।

1. Call Option Seller: कॉल ऑप्शन सेलर वह होता है जो मान लेता है कि स्टॉक का प्राइस बढ़ेगा ही नहीं या फिर स्टेबल रहेगा फिर कॉल ऑप्शन बिना ख़रीदे बेच कर प्रीमियम प्रॉफिट कमाता है, लेकिन अगर स्टॉक का प्राइस कॉल ऑप्शन के प्राइस से ज़्यादा बढ़ जाता है, तो वह सेलर को लोस्स हो सकता है।

2. Put Option Seller: पुट ऑप्शन सेलर वह होता है जो मान लेता है कि स्टॉक का प्राइस गिरने का चांस कम है या साइडवे हो सकता है, तो वह पुट ऑप्शन बेच कर प्रीमियम कमाता है लेकिन अगर स्टॉक का प्राइस पुट आप्शन के प्राइस से कम हो जाता है, तो वह सेलर का लॉस भी हो सकता है।

Option Trading ka Risk:

ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क भी होता है, और इसमें इन्वेस्टर का रिस्क ऑप्शन टाइप पर डिपेंड करता है,

1. Option Buyer ka Risk: लिमिटिड होता है उसको सिर्फ वह प्रीमियम का लॉस कर सकता है जो उसने ऑप्शन को खरीदने वक़्त पैसे दिए है, अगर ऑप्शन में प्रॉफिट नहीं हुआ तो, वह बस प्रीमियम का नुकसान फेस करेगा लेकिन एक्चुअल स्टॉक को खरीदने का प्रेशर नहीं होगा।

2. Option Seller ka Risk: अनलिमिटेड हो सकता है अगर वहस्टॉप लॉस न लगाए तो स्टॉक विपरिस्त डिसा में चला बाइचांस और स्टॉक का प्राइस ऑप्शन के प्राइस से ज़्यादा बढ़ गया या गिर गया, तो ऑप्शन सेलर को उस बड़े हुये कीमत का पूरा नुकसान उठाना पड़ेगा इसलिए, ऑप्शन सेलर को रिस्क मैनेजमेंट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

Conclusion:

तो दोस्तों आपको Option Buyer और Option Seller में अंतर समझ में आ गया होगा और दोनों का रिक्स एक समान नहीं होता, लेकिन दोनों में रिक्स बहुत ज्यादा होता है इसलिए फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लेकर ही इसमें निवेश या ट्रेड करें। और किसी रियल ट्रेडर से सीखे और समझे उसके बाद ही इस फील्ड में उतरे आप डेमो ट्रेड भी कर सकते हैं प्ले स्टोर पर काफी सारे डेमो ट्रेडिंग अप्प है उसका इस्तेमाल करके देख सकते हैं मार्किट में कितना प्रॉफिट और कितना लॉस होता है हैप्पी ट्रेडिंग।

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दोस्तों मेरा नाम सोनू है दिल्ली में रहता हूँ Stock Market में काफी ज्यादा रुचि रखता हूं और कई सालों का अनुभव है काफी सालो से स्टॉक मार्किट में इंट्राडे ट्रेडिंग और स्टॉक में इन्वेस्ट करना सिख रखा हु, और मुझे लेकिन खाली समय में लिखना भी पसंद है इसीलिए मैं ब्लॉग के माध्यम से अपने विचारो को आप के साथ साझा करता हु।

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